Maharajganj

पराली पर डीएम का एक्शन: महराजगंज में 61 से घटकर 12 हुई पराली जलाने की घटनाएं, दम घोंट रही थी हवा

 

गुरुवार को पराली जलाने के मामले में प्रदेश में सबसे ऊपर पहुंच गया था जिला

वायु गुणवत्ता सूचकांक भी हो गई थी खराब

महराजगंज टाइम्स ब्यूरो:- जिले में पराली जलाने की घटनाओं पर जिला प्रशासन की सख्ती आखिरकार रंग लाई है। गुरुवार को पराली जलाने के मामले में जिला प्रदेश में सबसे ऊपर पहुंच गया था। सैटेलाइट मॉनिटरिंग में 61 स्थानों पर पराली जलती मिली थी, वहीं अगले दिन शुक्रवार को डीएम संतोष कुमार शर्मा की कमान के बाद यह संख्या लुढ़ककर मात्र 12 पर आ गई। इस गिरावट से किसानों में प्रशासन की कार्रवाई का भय बढ़ा है। जिले की दम घोंटती वायु गुणवत्ता में भी सुधार की उम्मीद जगी है।

खतरनाक स्तर पर था वायु गुणवत्ता सूचकांक

गुरुवार को 61 स्थानों पर पराली जलाने की रिकॉर्ड घटनाओं ने जिले की हवा को गंभीर रूप से प्रदूषित कर दिया था। इस सामूहिक प्रदूषण के कारण जिले का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) खतरनाक रूप से बढ़ गया था। आंकड़ों के अनुसार 14 नवंबर को जिले का एक्यूआई 127 से 190 के बीच दर्ज किया गया, जिसे केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानकों के अनुसार अस्वस्थकर श्रेणी में रखा जाता है। इस श्रेणी का मतलब है कि फेफड़ों की बीमारी वाले लोगों, बच्चों और वृद्धों को सांस लेने में तकलीफ़ का अनुभव हो सकता है, जबकि लंबे समय तक संपर्क में रहने पर स्वस्थ लोगों को भी प्रभाव महसूस होने लगते हैं।

डीएम ने संभाली कमान, फील्ड में उतार दी प्रशासनिक मशीनरी

पराली जलाने से उपजी इस गंभीर स्थिति को देखते हुए डीएम संतोष कुमार शर्मा ने तत्काल प्रभाव से कार्रवाई की कमान संभाली। इसके बाद लापरवाह किसानों पर जुर्माना लगाने के अलावा निरोधात्मक कार्रवाई शुरू हो गई।डीएम ने राजस्व, कृषि व पुलिस विभाग की पूरी प्रशासनिक मशीनरी को फील्ड में उतार दिया। डीएम ने स्वयं भी क्षेत्र का भ्रमण किया और व्यक्तिगत रूप से निगरानी की। इस सघन और त्वरित प्रशासनिक कार्रवाई ने किसानों को पराली जलाने से रोका। प्रशासन का कड़ा रुख शुक्रवार को पराली जलाने की घटनाओं को 61 से 12 पर लाने में सफल रहा, जो प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में एक बड़ी राहत है।

प्रदूषण और स्वास्थ्य पर खतरा बरकरार

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि पराली जलाने से न केवल वायु प्रदूषण बढ़ता है, बल्कि इससे मिट्टी के पोषक तत्व भी नष्ट होते हैं। इसके साथ ही, हवा में पीएम2.5 और पीएम 10 जैसे सूक्ष्म कणों की मात्रा बढ़ने से फेफड़ों और हृदय संबंधी बीमारियां बढ़ जाती हैं। प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक पराली जलाने की घटनाएं शून्य नहीं हो जातीं, तब तक यह सख्त अभियान जारी रहेगा, ताकि जिले के निवासियों को स्वच्छ और स्वस्थ हवा मिल सके।

पराली जलाने के मामलों में जिला अब भी शीर्ष पर, कार्रवाई से स्थिति में सुधार

प्रशासन की सख्त कार्रवाई के बाद गुरुवार को प्रदेश में सबसे ऊपर रहने वाला जिला शुक्रवार को केवल 12 पराली जलाने की घटनाओं के साथ दैनिक रैंकिंग में थोड़ा नीचे आया और सिद्धार्थनगर के साथ संयुक्त रूप से तीसरे स्थान पर रहा। हालांकि 15 सितंबर से 14 नवंबर की अवधि में पराली जलाने के कुल मामलों को देखें तो महराजगंज अब भी प्रदेश में पहले स्थान पर बना हुआ है। इस अवधि में जिले में अब तक 190 घटनाएं दर्ज हुई हैं। इस सूची में जालौन 177 घटनाओं के साथ दूसरे स्थान पर व हरदोई 143 घटनाओं के साथ तीसरे स्थान पर है। गोरखपुर मंडल के अन्य जिलों में इसी अवधि में देवरिया में 56, कुशीनगर में 18 व गोरखपुर में 90 मामले सामने आ चुके हैं। प्रशासन पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए लगातार कार्रवाई कर रहा है, जिसके चलते शुक्रवार की दैनिक संख्या में सुधार दिखा है।

यह भी पढ़ें : मनरेगा में धांधली का कमाल,खरीफ़ के मौसम में उगाई जा रही रबी की फसल